प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेके घुटने! क्या अरब देशों के कहने पर अब राम मंदिर का निर्माण भी रोक देंगे?
NewsAgenda24, NEWS DESK
अयोध्या में बन रहे राम मंदिर पर संकट के बादल मंडराते दिखने शुरू हो गए हैं जिस मंदिर के लिए आरएसएस से लेकर बीजेपी ने अपनी राजनीति चमकाई, अब उस मंदिर की चमक फीकी होती दिख रही है।
दरअसल बीजेपी के प्रवक्ताओं की तरफ से कुछ ऐसी टिप्पणियां की गई जिसको लेकर अरब देश नाराज हो गए बताया जा रहा है कि अरब देशों, जिनमें कुवैत में भारतीय राजदूत को तलब कर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की कहा तो यह भी जा रहा है कि कुवैत जैसे देश के लोगों ने भारतीय सामान का बहिष्कार भी करना शुरू कर दिया था कई ऐसे शोरूम में से भारतीय सामानों को बाहर निकाल दिया गया।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या एक कुवैत जैसे छोटे देश की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो इतने बड़े देश के सर्वे सर्वा है उनके आगे घुटने टेक देंगे। शायद पहली बार ही ऐसा हुआ है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी के आगे झुके हैं आखिर क्यों अरब देशों की एक मामूली सी चेतावनी से बीजेपी के प्रवक्ताओं को हटा दिया गया।
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सवाल उठता है कि अगर अरब देशों ने राम मंदिर को लेकर आपत्ति जता दी तो क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसका निर्माण कार्य भी रोक देंगे क्या उसकी तरफ जगह फिर से बाबरी मस्जिद का निर्माण करवा देंगे यह कैसा सवाल है जो बीजेपी ही नहीं आरएसएस पर भी एक गंभीर सवाल खड़े करता है।
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आखिर क्यों नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल पर कार्रवाई की गई क्या इससे पहले किसी बीजेपी प्रवक्ता ने इस से भी कड़ी टिप्पणी नहीं की है कल को कोई और अब भी अगर ज्ञानवापी से लेकर मथुरा के मुद्दों पर कड़ी चेतावनी देता है तो क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां पर भी काम रुकवा देंगे क्या काशी विश्वनाथ मंदिर का जो प्रोजेक्ट चल रहा है जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कितने रुपए खर्च कर दिए हैं क्या वह प्रोजेक्ट भी रुक जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इतने बड़े राजनीतिक करियर में यह फैसला उनके लिए बहुत घातक सिद्ध होने वाला है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि जो बनाने की कोशिश कर रहे शायद वह भूल गए हैं कि यह उनकी छवि नहीं है उनकी छवि कट्टर हिंदू वाली है और इसी छवि को लेकर लोग उनके साथ खड़े हैं लेकिन अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे छोटे से देश को लेकर खुद को बैकफुट पर लेकर आते हैं तो यह उनके राजनीतिक करियर पर एक सवालिया निशान लगाता है।